रास बिहारी घोष की अध्यक्षता में 1907 में गुजरात के सूरत में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) का 23वां अधिवेशन हुआ। इस अधिवेशन में कांग्रेस दो गुटों में बंट गई – उग्रवादी और नरमपंथी। उग्रवादियों का नेतृत्व लोकमान्य तिलक, लाला लाजपत राय और बिपिन चंद्र पाल ने किया, जबकि नरमपंथियों का नेतृत्व गोपाल कृष्ण गोखले, फिरोजशाह मेहता और सुरेंद्रनाथ बनर्जी ने किया।
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