न्यायमूर्ति महादेव गोविंद रानाडे (1842-1901) ने 1861 में "विधवा विवाह संघ" की स्थापना की ताकि विधवा विवाह को प्रोत्साहित और लोकप्रिय बनाया जा सके। वे जाति प्रथा और अस्पृश्यता के विरोधी थे और विधवा पुनर्विवाह के प्रबल समर्थक थे।
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