तीसरे आंग्ल-मैसूर युद्ध को समाप्त करने के लिए 1792 में श्रीरंगपट्टनम संधि पर लॉर्ड कॉर्नवालिस और मैसूर के शासक टीपू सुल्तान के बीच हस्ताक्षर हुए। इस संधि के तहत टीपू सुल्तान ने अपनी आधी भूमि ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी को सौंप दी और युद्ध क्षतिपूर्ति के रूप में 3 करोड़ 30 लाख रुपये सोने-चांदी के सिक्कों में चुकाने पर सहमति जताई।
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