हिंदू विधवा पुनर्विवाह अधिनियम 26 जुलाई 1856 को पारित किया गया था। इसे अधिनियम 15 के नाम से भी जाना जाता है, जिसने हिंदू विधवाओं के पुनर्विवाह को कानूनी मान्यता दी। ईश्वरचंद्र विद्यासागर के अथक प्रयासों और लॉर्ड डलहौजी के सहयोग से यह विधेयक पारित हुआ।
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