उत्तर प्रदेश सरकार कालनमक चावल, जिसे 'बुद्धा चावल' भी कहा जाता है, को बौद्ध बहुल देशों में निर्यात करने की योजना बना रही है। यह पारंपरिक, सुगंधित और गैर-बासमती चावल अपनी उच्च पोषण गुणवत्ता के लिए जाना जाता है। इसे मुख्य रूप से पूर्वी उत्तर प्रदेश के सिद्धार्थनगर जिले में उगाया जाता है और यह 'वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट' (ODOP) योजना का हिस्सा है। संयुक्त राष्ट्र की खाद्य और कृषि संगठन (FAO) ने कालनमक चावल को विश्व की विशेष किस्मों में शामिल किया है। इसकी खेती बौद्ध काल, लगभग 600 ईसा पूर्व से होती आ रही है और इसके दाने अलीगढ़वा की पुरातात्विक खुदाई में मिले हैं।
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