19 अप्रैल 1975 को लॉन्च किया गया आर्यभट्ट भारत का पहला स्वदेशी उपग्रह था जिसका नाम प्राचीन भारतीय गणितज्ञ और खगोलशास्त्री आर्यभट्ट के नाम पर रखा गया था। इस उपग्रह को सोवियत संघ की सहायता से कपुस्टिन यार से लॉन्च किया गया था। आर्यभट्ट ने भारत को उपग्रहों को कक्षा में भेजने में सक्षम 11 देशों में शामिल किया। इसे सौर भौतिकी और एक्स-रे खगोलशास्त्र प्रयोगों के लिए डिजाइन किया गया था लेकिन पांच दिन बाद इसमें बिजली की समस्या आ गई। इसके बावजूद आर्यभट्ट ने कई और दिनों तक डेटा प्रेषित किया और लगभग 17 वर्षों तक कक्षा में रहा। आर्यभट्ट का प्रक्षेपण भारत के बढ़ते अंतरिक्ष कार्यक्रम की नींव बना और 2025 में भारत की अंतरिक्ष उपलब्धियों के 50 वर्ष पूरे होने का प्रतीक बना।
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