दयानंद सरस्वती एक महत्वपूर्ण हिंदू धर्मशास्त्री, समाज सुधारक और आर्य समाज के संस्थापक थे, जो एक हिंदू सुधार आंदोलन था। 1876 में उन्होंने सबसे पहले स्वराज्य का नारा दिया – "भारतीयों के लिए भारत" – जिसे बाद में लोकमान्य तिलक ने आगे बढ़ाया। उनका जन्म मूल नक्षत्र में हुआ था, इसलिए उनका नाम "मूलशंकर" रखा गया। उनका प्रारंभिक जीवन आरामदायक रहा, जहां उन्होंने संस्कृत, वेद और अन्य धार्मिक ग्रंथों का अध्ययन कर खुद को हिंदू पुजारी बनने के लिए तैयार किया।
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