अकबर का राजसत्ता सिद्धांत
अकबर की धार्मिक नीति इस बात को दर्शाती है कि एक शासक को अपने प्रजा के प्रति कैसा व्यवहार करना चाहिए। यह नीति तैमूरी, फ़ारसी और भारतीय राजसत्ता विचारों का मिश्रण थी। अकबर के जीवनीकार अबुल फ़ज़ल के अनुसार एक सच्चे शासक का पद अत्यंत ज़िम्मेदार होता है और यह ईश्वरीय कृपा पर आधारित होता है। इसलिए ईश्वर और सच्चे शासक के बीच कोई नहीं आ सकता। एक सच्चा शासक अपनी प्रजा से धर्म, जाति या नस्ल की परवाह किए बिना पिता समान प्रेम करता है। उसका यह भी कर्तव्य होता है कि समाज में संतुलन बनाए रखे और किसी वर्ग या पेशे के लोगों को दूसरे के कार्यों में हस्तक्षेप न करने दे। सबसे महत्वपूर्ण यह कि वह सांप्रदायिक संघर्ष को बढ़ने न दे। इन सभी बातों को मिलाकर जो नीति बनी, उसे ‘सुलह कुल’ यानी सबके लिए शांति कहा गया। इसलिए विकल्प 1 सही उत्तर है।
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