मीमांसा दर्शन के रचयिता महर्षि जैमिनि हैं। इस दर्शन का मूल ग्रंथ मीमांसा सूत्र है, जिसे महर्षि जैमिनि ने लिखा था। इसमें वैदिक यज्ञों में मंत्रों के प्रयोग और यज्ञों की विधियों का वर्णन किया गया है। योग दर्शन आत्मा की शुद्धि का मार्ग बताता है, जबकि मीमांसा दर्शन पारिवारिक जीवन से लेकर राष्ट्रीय जीवन तक मानव के कर्तव्यों को स्पष्ट करता है, जिससे संपूर्ण राष्ट्र की प्रगति हो सके। जैसे संपूर्ण अनुष्ठान मंत्रों के प्रयोग पर आधारित होते हैं, वैसे ही मीमांसा दर्शन भी मंत्रों के प्रयोग और उनके विधान का समर्थन करता है।
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