फिरोज शाह तुगलक ने नागरकोट पर चढ़ाई की और वहां के शासक को कर देने के लिए मजबूर किया। इस अभियान के दौरान सुल्तान ने ज्वालामुखी मंदिर की लाइब्रेरी से 1300 संस्कृत पांडुलिपियां एकत्र कीं। अरिज़ुद्दीन खान ने इनका फारसी में अनुवाद किया, जिसे "दलाईल-ए-फिरोज-शाही" नाम दिया गया।
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