तुर्की में क्रांति
1922 में मुस्तफा कमाल पाशा के नेतृत्व में तुर्की में क्रांति हुई, जिसके बाद वहां एक धर्मनिरपेक्ष सरकार बनी। इस सरकार ने दो वर्षों के भीतर खिलाफत की अवधारणा को समाप्त कर दिया, जिससे खिलाफत सम्मेलन अपना महत्व खोने लगा और धीरे-धीरे समाप्त हो गया।
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