रेगुलेटिंग एक्ट 1773
रेगुलेटिंग एक्ट 1773 भारत में संवैधानिक विकास का पहला महत्वपूर्ण चरण था। इस अधिनियम के माध्यम से ब्रिटिश संसद ने पहली बार भारत के मामलों में हस्तक्षेप किया। उस समय इंग्लैंड के प्रधानमंत्री लॉर्ड नॉर्थ थे।
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