पुरापाषाण शिकारी-संग्रहकर्ताओं का मुख्य व्यवसाय जानवरों का शिकार और जंगली फल, सब्जियाँ और पौधे इकट्ठा करना था। वे संगठित कृषि नहीं करते थे और जीविका के लिए स्थान-स्थान पर घूमते थे। हुनसगी घाटी, कुरनूल गुफाएँ और भीमबेटका जैसे स्थलों पर मिले पत्थर के औजार संभवतः जानवरों की खाल उतारने और मांस काटने के लिए उपयोग किए जाते थे।
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