शेष शक्तियाँ केंद्र के पास
संघ सरकार और इसकी विधायिका की शक्तियाँ सीमित थीं, जो वित्त, विदेशी मामलों और संचार तक सीमित थीं। संघ को इन विषयों के संचालन के लिए आवश्यक वित्त जुटाने की शक्ति थी। इसलिए कैबिनेट मिशन योजना ने एक कमजोर केंद्र का प्रस्ताव रखा। कल्पना करें यदि यह योजना स्वीकृत होकर लागू हो जाती तो देश की स्थिति क्या होती। संघीय विषयों को छोड़कर अन्य सभी विषय और शेष शक्तियाँ प्रांतों के पास होतीं। रियासतों के पास सभी विषयों और शेष शक्तियों का अधिकार बना रहता।
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