वायसराय लॉर्ड रिपन ने 1882 में अधिनियम 3 के तहत लॉर्ड लिटन द्वारा पारित 1878 के वर्नाक्युलर प्रेस एक्ट को रद्द कर दिया था। इसके बाद देशी भाषाओं में प्रकाशित समाचार पत्रों को भारतीय प्रेस के अन्य अखबारों के समान स्वतंत्रता मिल गई।
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