उनका मूल नाम मिर्ज़ा असदुल्लाह बेग खान था। अधिकतर लोग उन्हें "ग़ालिब" के नाम से जानते हैं, जो उनका उपनाम था। लेकिन ग़ालिब से पहले उन्होंने "असद" उपनाम से लिखा, जिसका अर्थ है शेर। बहादुर शाह ज़फ़र द्वितीय ने उन्हें "दबीर-उल-मुल्क" की उपाधि दी थी। जब उन्हें "मिर्ज़ा नौशा" की उपाधि मिली, तब वे मिर्ज़ा ग़ालिब के नाम से प्रसिद्ध हुए।
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