भारत सरकार अधिनियम 1935 ने केंद्र में द्वैध शासन की व्यवस्था की थी। इसके तहत केंद्र की कार्यकारी सत्ता गवर्नर को सौंपी गई थी। इस अधिनियम ने भारत सरकार अधिनियम 1919 द्वारा प्रांतीय स्तर पर लागू द्वैध शासन प्रणाली को समाप्त कर दिया।
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