सन् 1330 में दिल्ली के सुल्तान मुहम्मद बिन तुगलक ने पीतल और तांबे की टोकन मुद्रा जारी की, जिसे सोने और चांदी के बराबर मूल्य दिया गया। उचित डिज़ाइन और सुरक्षा उपायों की कमी के कारण इन सिक्कों की बड़े पैमाने पर नक़ल होने लगी। यह योजना चीन के युआन वंश की कागजी मुद्रा से प्रेरित थी, लेकिन असफल रही। इससे आर्थिक अस्थिरता बढ़ी और अंततः इसे वापस लेना पड़ा। यह मध्यकालीन भारत में फ़िएट मुद्रा की एक प्रारंभिक कोशिश थी, जो क्रियान्वयन की चुनौतियों को दर्शाती है।
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