यूरोप के कई देशों, जिनमें फ्रांस भी शामिल था, में समाजवादी पार्टियां संगठित थीं और कुछ को व्यापक समर्थन भी मिला था। 1871 में समाजवाद के विचारों से प्रेरित पहली क्रांति पेरिस में हुई, जिसे इतिहास में 'पेरिस कम्यून' के नाम से जाना जाता है। यह घटना 'फ्रांको-प्रशियन युद्ध' से जुड़ी हुई थी। 'कम्यून' ने कुछ समय के लिए पेरिस शहर का शासन संभाला और मजदूरों, श्रमिकों व सैनिकों के हितों का प्रतिनिधित्व किया। हालांकि, इसका शासन कुछ ही महीनों तक चला क्योंकि फ्रांसीसी राष्ट्रीय बलों ने अंतरराष्ट्रीय समूहों के समर्थन से इसे कुचल दिया। फिर भी, यह एक महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय घटना थी। 'पेरिस कम्यून' की घटना ने कार्ल मार्क्स के सिद्धांतों और लेखनों पर गहरा प्रभाव डाला।
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