‘जन गण मन’ को राग अल्हैया बिलावल में रवींद्रनाथ टैगोर ने लिखा था। यह ब्रह्मो भजन "भारत भाग्य विधाता" के पांच पदों में से पहले पद पर आधारित है। इसका मुख्य संदेश बहुलवाद है। इसे पहली बार 27 दिसंबर 1911 को कांग्रेस के कलकत्ता अधिवेशन में गाया गया था। 24 जनवरी 1950 को इसे संविधान सभा द्वारा हिंदी संस्करण में भारत के राष्ट्रगान के रूप में अपनाया गया।
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