अकबर ने 1564 और 1579 में अपनी धार्मिक सहिष्णुता नीति सुहल-ए-कुल के तहत जज़िया कर समाप्त किया। उन्होंने हिंदुओं को प्रशासन में शामिल किया और हिंदू राजकुमारियों से विवाह किया। 1679 में औरंगज़ेब ने इस कर को फिर से लागू किया ताकि इस्लामिक रूढ़िवाद को बढ़ावा दिया जा सके। इससे अकबर की समावेशी नीतियाँ उलट गईं और धार्मिक तनाव बढ़ा।
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