1303 ईस्वी में दिल्ली के सुल्तान अलाउद्दीन खिलजी ने चित्तौड़गढ़ पर हमला कर उसे जीत लिया। इसके बाद चित्तौड़गढ़ में राजपूत रानियों का पहला जौहर हुआ। इसका नेतृत्व रानी पद्मिनी ने किया, जो मेवाड़ के राजा रावल रतन सिंह की पत्नी थीं। उन्होंने सुल्तान के सामने आत्मसमर्पण करने के बजाय जौहर करना उचित समझा।
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