चार्वाक दर्शन एक प्राचीन भारतीय भौतिकवादी नास्तिक दर्शन है। यह केवल प्रत्यक्ष प्रमाण को मानता है और अलौकिक प्राणियों के सिद्धांत को नहीं मानता। इस दर्शन को वेदबाह्य भी कहा जाता है। छह बाह्य वेद हैं - चार्वाक, माध्यमिक, योगाचार, सौत्रांतिक, वैभाषिक और अर्हत (जैन)। इन सभी में वेदों के विपरीत सिद्धांतों का वर्णन है।
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