धर्मचक्र प्रवर्तन सूत्र
अष्टांगिक मार्ग बुद्ध के प्रमुख उपदेशों में से एक है। उन्होंने इसे दुख (दुःख) के निवारण और आत्मबोध प्राप्त करने का मार्ग बताया। बौद्ध प्रतीकों में इसे अक्सर धर्मचक्र के रूप में दर्शाया जाता है, जिसकी आठ तीलियां मार्ग के आठ तत्वों का प्रतिनिधित्व करती हैं। अष्टांगिक मार्ग में सम्यक दृष्टि, सम्यक वाणी, सम्यक आजीविका, सम्यक स्मृति, सम्यक संकल्प, सम्यक कर्म, सम्यक प्रयास और सम्यक ध्यान शामिल हैं।
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