दीन-ए-इलाही एक मिश्रित सिद्धांत था, जिसमें विभिन्न क्षेत्रों के तत्व शामिल थे। इसने इस्लाम और मुस्लिम परंपराओं के लगभग सभी औपचारिक नियमों को समाप्त कर दिया, लेकिन ब्राह्मणों और मिशनरियों के अच्छे विचारों को अपनाया और सूर्य को सृजनकर्ता की उपासना के प्रतीक के रूप में स्वीकार किया। अकबर ने एक नया इलाही युग शुरू किया। यह नया पंथ अकबर के दरबार के कुछ खास दरबारियों जैसे फैजी, अबुल फजल, बीरबल और कुछ अन्य लोगों द्वारा तुरंत स्वीकार कर लिया गया।
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