‘ग्रैंड ट्रंक रोड’ का निर्माण 16वीं सदी के शासक शेरशाह सूरी ने करवाया था, जो सोनारगांव को लाहौर और मुल्तान से जोड़ता था। "सड़क-ए-आज़म" के नाम से जानी जाने वाली इस सड़क पर यात्रियों के लिए सराय बनाई गई थीं, जिससे व्यापार, सैन्य आवागमन और संचार में सुधार हुआ। इसने मौर्यकालीन "उत्तरपथ" जैसे प्राचीन मार्गों को उन्नत किया और भारतीय उपमहाद्वीप में भविष्य के बुनियादी ढांचे की नींव रखी।
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