संविधान का अनुच्छेद 282 केंद्र और राज्यों को किसी भी सार्वजनिक उद्देश्य के लिए अनुदान देने का अधिकार देता है, भले ही वह उनके विधायी अधिकार क्षेत्र में न आता हो। इसे विवेकाधीन अनुदान भी कहा जाता है क्योंकि केंद्र पर इन्हें देने की कोई बाध्यता नहीं होती और यह पूरी तरह उसके विवेक पर निर्भर करता है।
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