अकबर ने मनसबदारी प्रणाली की शुरुआत की, जिसमें अधिकारियों (मनसबदारों) को 10 से 5000 तक के रैंक (मनसब) दिए गए। यह प्रणाली फारसी प्रथाओं से प्रेरित थी और इसमें सैन्य और प्रशासन का समावेश था। मनसबदारों को नकद (नकद) या भूमि राजस्व (जागीर) के रूप में भुगतान किया जाता था। इस प्रणाली में दोहरी रैंक शामिल थी: जात (व्यक्तिगत) और सवार (घुड़सवार), जो घुड़सवारों के रखरखाव को निर्धारित करती थी।
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