किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) संशोधन विधेयक पारित किया गया
किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) संशोधन विधेयक (Juvenile Justice (Care & Protection of Children) Amendment Bill) पारित हो गया है। यह विधेयक गोद लेने और बच्चे की देखभाल से संबंधित मामलों के संबंध में अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेटों और जिला मजिस्ट्रेटों की भूमिका को बढ़ाने का प्रयास करता है।
मुख्य बिंदु
- यह विधेयक गोद लेने और बच्चे की देखभाल से संबंधित मामलों के संबंध में अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेटों और जिला मजिस्ट्रेटों की भूमिका को बढ़ाने का प्रयास करता है।
- यह विधेयक किशोर न्याय अधिनियम, 2015 में संशोधन करने का प्रयास करता है।
- इस अधिनियम में कहा गया है कि केवल दीवानी अदालत द्वारा गोद लेने का आदेश जारी करने पर ही बच्चे को गोद लेना फाइनल हो जाता है।
- इस संशोधन के बाद अदालत के बजाय अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट के साथ-साथ जिला मजिस्ट्रेट गोद लेने के आदेश जारी करेंगे।
किशोरों द्वारा किए गए अपराध
2015 के अधिनियम में कहा गया है कि देश के किशोरों द्वारा किए जाने वाले विभिन्न अपराधों को गंभीर अपराधों, छोटे अपराधों और जघन्य अपराधों की तीन श्रेणियों के तहत वर्गीकृत किया जाना है। गंभीर अपराध वे अपराध हैं जिनमें तीन से सात साल की कैद की सजा होती है। अब से, गंभीर अपराधों में अधिकतम सजा हो सात साल से अधिक कारावास होगी और न्यूनतम सजा के लिए सात साल से कम होगी।
यह संशोधन क्यों आवश्यक था?
जुलाई 2018 के महीने तक, देश भर में विभिन्न अदालतों में गोद लेने के 629 मामले लंबित थे। गोद लेने की कार्यवाही को तेज करने के लिए यह निर्णय लिया गया है।