हरिजनों के लिए आरक्षण के साथ संयुक्त निर्वाचक मंडल
सितंबर 1932 में अंबेडकर ने दबे-कुचले वर्गों की ओर से पूना समझौते पर हस्ताक्षर किए। इस समझौते में उनके लिए अलग निर्वाचक मंडल की व्यवस्था समाप्त कर दी गई। हालांकि, प्रांतीय और राज्य विधानसभाओं में उनके लिए आरक्षित सीटों की संख्या बढ़ा दी गई।
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