डॉ. रास बिहारी घोष
1907 के सूरत अधिवेशन में उदारवादियों और उग्रवादियों के बीच मतभेद बढ़ गए थे। उग्रवादी लाला लाजपत राय को अध्यक्ष बनाना चाहते थे, लेकिन उनकी इच्छा के विरुद्ध डॉ. रास बिहारी घोष को कांग्रेस अध्यक्ष चुना गया। इसके विरोध में उग्रवादियों ने कांग्रेस छोड़ दी, जिससे कांग्रेस पर उदारवादियों का नियंत्रण बना रहा।
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