1903 में केरल में श्री नारायण गुरु ने श्री नारायण धर्म परिपालन योगम (SNDP) की स्थापना की। यह एक धर्मार्थ संस्था थी, जिसका उद्देश्य निम्न वर्गों को शिक्षा देकर सशक्त बनाना और ब्राह्मणों के वर्चस्व का विरोध करना था। इसका मुख्य लक्ष्य सामाजिक और आर्थिक रूप से वंचित वर्गों के कल्याण और शिक्षा को बढ़ावा देना था।
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