राजतरंगिणी उत्तर-पश्चिमी भारतीय उपमहाद्वीप विशेषकर कश्मीर के राजाओं का एक ऐतिहासिक वृत्तांत है। इसे 12वीं शताब्दी में कश्मीरी इतिहासकार कल्हण ने संस्कृत में लिखा था। यह ग्रंथ 7826 छंदों में रचा गया है और आठ तरंगों यानी पुस्तकों में विभाजित है। यह कश्मीर के इतिहास का सबसे प्राचीन स्रोत माना जाता है।
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