हिंदू विवाह अधिनियम भारत की संसद द्वारा 1955 में पारित किया गया था। इस दौरान हिंदू कोड बिल्स के तहत तीन अन्य महत्वपूर्ण कानून भी बनाए गए: हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम (1956), हिंदू अल्पसंख्यक और संरक्षकता अधिनियम (1956) और हिंदू दत्तक एवं भरण-पोषण अधिनियम (1956)। इस कानून का मुख्य उद्देश्य हिंदुओं और अन्य संबंधित व्यक्तियों के विवाह से जुड़े नियमों में संशोधन और संहिताकरण करना था। इसमें शास्त्रीय कानून के संशोधन और संहिताकरण के साथ-साथ अलगाव और तलाक को भी शामिल किया गया, जो पहले से ही शास्त्रीय कानून में मौजूद था। इस अधिनियम ने हिंदुओं के सभी वर्गों के लिए एक समान विवाह कानून लागू किया। भारत में धार्मिक आधार पर अलग-अलग नागरिक संहिताएं हैं, जो कुछ अन्य धर्मों के अनुयायियों के लिए अलग-अलग नियम निर्धारित करती हैं।
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