हरिषेण एक प्रतिष्ठित कवि थे जिन्होंने भारत के गुप्त साम्राज्य के प्रसिद्ध शासक समुद्रगुप्त के दरबार में कवि के रूप में सेवा की। वह प्रयाग प्रशस्ति शिलालेख के लिए प्रसिद्ध हैं जो समुद्रगुप्त की अनेक उपलब्धियों का महिमामंडन करता है। यह शिलालेख समुद्रगुप्त की सैन्य शक्ति, उदारता और सांस्कृतिक संरक्षण के लिए एक उत्कृष्ट श्रद्धांजलि है। हरिषेण की वाक्पटुता और साहित्यिक प्रतिभा ने उन्हें समुद्रगुप्त के दरबार का अभिन्न हिस्सा बना दिया।
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