भारत के राष्ट्रपति
10वीं अनुसूची को छोड़कर अन्य सभी मामलों में किसी सदस्य की अयोग्यता का निर्णय राष्ट्रपति करते हैं। हालांकि, इस निर्णय से पहले उन्हें चुनाव आयोग की राय लेनी होती है। दल-बदल विरोधी कानून यानी 10वीं अनुसूची के तहत अयोग्यता का निर्णय राज्यसभा के मामले में सभापति (उपराष्ट्रपति) और लोकसभा के मामले में अध्यक्ष लेते हैं। इस स्थिति में सभापति या अध्यक्ष का निर्णय न्यायिक समीक्षा के अधीन होता है।
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