भारतीय संविधान ने नागरिकता के स्थायी कानून निर्धारित नहीं किए और यह जिम्मेदारी संसद को सौंपी। अनुच्छेद 10 और 11 के तहत संसद ने 1955 में नागरिकता अधिनियम पारित किया, जिसे समय-समय पर संशोधित किया गया है। इस अधिनियम में चार तरीके बताए गए हैं जिनसे कोई व्यक्ति भारतीय नागरिक बन सकता है—जन्म, वंश, पंजीकरण और प्राकृतिककरण। जन्म और वंश से प्राप्त नागरिकता को प्राकृतिक नागरिकता कहा जाता है।
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