लाहौर षड्यंत्र केस का संबंध 1931 में भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव के मुकदमे से है। 8 अप्रैल 1929 को भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त, जो हिंदुस्तान रिपब्लिकन सोशलिस्ट एसोसिएशन के सक्रिय सदस्य थे, केंद्रीय विधान सभा में गए और सरकारी बेंचों पर बम फेंका तथा 'इंकलाब जिंदाबाद' का नारा लगाया।
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