बालाजी विश्वनाथ को सम्राट फर्रुख सियार से शाहू को मराठा राजा के रूप में मान्यता दिलाने और छह मुगल प्रांतों से चौथ व सरदेशमुखी वसूलने की अनुमति मिली। इससे मराठों की राजनीतिक वैधता और आर्थिक स्थिति मजबूत हुई, जिससे मुगलों के आंतरिक संघर्ष के बीच पेशवाओं के प्रभुत्व का मार्ग प्रशस्त हुआ।
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