मुगल काल में क़ाज़ी-उल-क़ुज़ात का पद बहुत महत्वपूर्ण था क्योंकि उन्हें न्याय का सर्वोच्च अधिकारी माना जाता था। सम्राट के लिए सभी मामलों में न्याय करना कठिन था, इसलिए यह जिम्मेदारी क़ाज़ी-उल-क़ुज़ात को सौंपी जाती थी। वे मुस्लिम क़ानून के अनुसार न्याय सुनिश्चित करने के लिए उत्तरदायी होते थे। आधुनिक न्याय प्रणाली में यह पद मुख्य न्यायाधीश के समकक्ष माना जा सकता है।
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