ऐसी भूमि इकाइयाँ जिनका राजस्व बड़े अधिकारियों और सैन्य कमांडरों को वेतन के बदले सौंपा जाता था।
सरंजाम प्रणाली मराठा साम्राज्य की एक भू-संपदा व्यवस्था थी। यह 17वीं और 18वीं शताब्दी में प्रचलित थी। इस प्रणाली के तहत सैन्य कमांडरों और अन्य अधिकारियों को उनकी सेवा के बदले भूमि प्रदान की जाती थी। भूमि से प्राप्त राजस्व उन्हें वेतन के रूप में सौंपा जाता था। इन अधिकारियों को सरंजामदार कहा जाता था और वे अपने क्षेत्र में शामिल गाँवों से राजस्व वसूलने के अधिकारी होते थे। इस प्रणाली को राजाराम भोंसले ने मराठा साम्राज्य के प्रति प्रमुख व्यक्तियों की निष्ठा सुनिश्चित करने के लिए शुरू किया था। यह व्यवस्था भारत के अधिकांश हिस्सों, विशेष रूप से दक्कन क्षेत्र में प्रचलित थी।
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