छत, दरवाज़ों और खिड़कियों में क्षैतिज और ऊर्ध्वाधर शहतीरों को जोड़ने की एक शैली।
सातवीं से दसवीं शताब्दी के बीच वास्तुकारों ने इमारतों में अधिक कमरे, दरवाज़े और खिड़कियां जोड़ना शुरू किया। उस समय छत, दरवाज़े और खिड़कियां दो ऊर्ध्वाधर स्तंभों पर क्षैतिज शहतीर रखकर बनाए जाते थे। इस वास्तुकला शैली को "त्रैबिएट" या "कॉर्बल्ड" कहा जाता था। आठवीं से तेरहवीं शताब्दी के बीच यह शैली मंदिरों, मस्जिदों, मकबरों और बड़े बावड़ियों से जुड़े भवनों के निर्माण में अपनाई गई।
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