ग्वालियर के राजदरबार में राजा मानसिंह तोमर (1486–1516 ई.) ने संस्कृत से स्थानीय भाषा (हिंदी) में शास्त्रीय गीतों की परंपरा को बढ़ावा दिया। उन्होंने धार्मिक और सांसारिक विषयों पर कई ग्रंथ लिखे और "मंकुतुहल" ("जिज्ञासा की पुस्तक") नामक महत्वपूर्ण संकलन तैयार किया, जिसमें उस समय प्रचलित प्रमुख संगीत शैलियों का वर्णन था। विशेष रूप से ध्रुपद शैली उनके दरबार में विकसित हुई और कई सदियों तक ग्वालियर घराने की पहचान बनी रही।
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