नभादास रामानंदी परंपरा से जुड़े थे। उनकी पुस्तक "भक्तमाला" 16वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में लिखी गई थी और इसमें लगभग 600 संतों का विवरण मिलता है, जिनमें रामानुज, माधव, रामानंद और निम्बार्क जैसे संत शामिल हैं। इसमें प्रत्येक संत का वर्णन कुछ पंक्तियों में किया गया है।
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