बीजक 15वीं शताब्दी के भक्ति कवि कबीर की रचनाओं का संकलन है। मुस्लिम जुलाहों के बीच पले-बढ़े कबीर हिंदू और इस्लामी शिक्षाओं से प्रभावित थे और अक्सर धार्मिक रूढ़ियों की आलोचना करते थे। बीजक का अर्थ "बीज" होता है और यह आंतरिक भक्ति पर जोर देता है। उनकी रचनाएँ कबीर पंथ के अनुयायियों द्वारा मौखिक रूप से संकलित की गईं और बाद में लिखित रूप में संग्रहित की गईं। कबीर की विरासत का सिख धर्म पर प्रभाव पड़ा और गुरु नानक ने उनकी कुछ रचनाएँ गुरु ग्रंथ साहिब में शामिल कीं।
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