अब्दुर्रहीम खान-ए-खाना
बाबर ने अपनी आत्मकथा बाबरनामा लिखी, जिसे तुज़्क-ए-बाबरी भी कहा जाता है। मुगल साम्राज्य में केवल बाबर और जहांगीर ने अपनी आत्मकथाएँ लिखीं। इस्लामी साहित्य में बाबरनामा को पहली सच्ची आत्मकथा माना जाता है। यह चगताई तुर्की में लिखा गया था, जो बाबर की मातृभाषा थी। अब्दुर्रहीम खान-ए-खाना ने इसका फारसी में अनुवाद किया। वे बैरम खान के पुत्र थे।
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