नयनार 63 संतों का एक समूह था, जो विशेष रूप से भगवान शिव के भक्त थे। ये तमिलनाडु के प्रमुख संत थे, जिन्होंने भक्ति आंदोलन को अपने भक्ति उपदेशों, काव्य अभिव्यक्तियों और ईश्वर के प्रति गहरे समर्पण के माध्यम से आगे बढ़ाया। उनकी रचनाएँ तमिल साहित्य में प्रसिद्ध हैं। इस काल में अनुष्ठानिक पूजा से अधिक व्यक्तिगत और भावनात्मक भक्ति की ओर परिवर्तन हुआ, जिसने तमिलनाडु की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विरासत को समृद्ध किया।
This Question is Also Available in:
English