प्राकृतिक चयन का सिद्धांत डार्विन ने प्रस्तावित किया था। यह सिद्धांत अनुकूलन और प्रजाति निर्माण की व्याख्या करता है। डार्विन ने प्राकृतिक चयन को इस सिद्धांत के रूप में परिभाषित किया कि किसी भी लक्षण में यदि कोई मामूली भिन्नता उपयोगी हो तो वह संरक्षित रहती है।
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