केरल में पारंपरिक दस्ताने वाली कठपुतली कला को पवाकूथु कहा जाता है। यह 18वीं शताब्दी में प्रसिद्ध शास्त्रीय नृत्य-नाटक कथकली के प्रभाव में विकसित हुआ। कठपुतलियों की ऊंचाई 1 से 2 फीट तक होती है। इन्हें रंगीन टोपी और पंखों से सजाया जाता है। चेहरे के रंग कहानी कहने की इस नृत्य शैली की गहरी प्रभावशीलता को दर्शाते हैं। इस कला में रामायण और महाभारत की कहानियों का मंचन किया जाता है।
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