इलेक्ट्रॉन नाभिक के चारों ओर निश्चित वृत्ताकार पथों में घूमते हैं जिन्हें कक्षा या कोश कहा जाता है। प्रत्येक कक्षा या कोश एक निश्चित ऊर्जा से जुड़ा होता है इसलिए इन्हें ऊर्जा स्तर भी कहा जाता है और इन्हें क्रमशः K, L, M और N के रूप में दर्शाया जाता है। किसी ऊर्जा स्तर से जुड़ी ऊर्जा उसकी नाभिक से दूरी बढ़ने पर बढ़ती है। यदि K, L, M और N कोशों की ऊर्जा क्रमशः E1, E2, E3 ……. है तो E1 < E2 < E3 ……. होगा। जब तक इलेक्ट्रॉन किसी निश्चित कक्षा में घूमता रहता है तब तक वह अपनी ऊर्जा नहीं खोता इसलिए इन कक्षाओं को स्थिर कक्षाएँ कहा जाता है और इलेक्ट्रॉन को स्थिर ऊर्जा अवस्था में माना जाता है। जब कोई इलेक्ट्रॉन निम्न ऊर्जा स्तर से उच्च ऊर्जा स्तर पर जाता है तो वह ऊर्जा अवशोषित करता है और जब उच्च से निम्न ऊर्जा स्तर पर आता है तो ऊर्जा विद्युत चुंबकीय विकिरण के रूप में उत्सर्जित होती है। उत्सर्जित या अवशोषित ऊर्जा (ΔE) “hν” का पूर्णांक गुणज होती है।
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